ज़िंदगी में बहुत ज्यादा संवेदनशील बुरा है या अच्छा ?
जब तक इस दुनिया को अच्छे से देखा ओर समझा नहीं था,तब तक हमें संवेदन शील होना भी अच्छा लगता था, लेकिन जैसे जैसे लोगो के अंदर छुपे जूठ,फरेब, धोखा,दिखावा,जलन जैसे लक्षण देखने को मिले है लगता है सबसे सीधी साधी में ही थी क्या?🙈🙈
आप रो रो कर गंगा २ बना लो,मजाल किसी की आपके दर्द को महसूस करे, बहुत कम ही लोग होगे जो आपके अपने होगे,वरना झुठे रंग का वॉलपेपर तो घर घर में लगा ही होगा😀😀
अगर अपनी बात करू तो में बहुत ज्यादा इमोशन हूं, मुझे अपनी सफाई भी नहीं दी जाती है,रोना पहले अजता है😬😬
पर हमेशा मैने सच्चे और अच्छे काम के लिए जानी गाई हूं वो अलग बात है कि जलने वालो को आपकी कोई भी चीज़ ना पसंद हो , पर इस बात की ख़ुशी होती है शायद हमने कुछ अच्छा ओर उनसे बढ़कर किया है तभी तो बिना गेस सिलेंडर के आग लग गई 😆
ज़िन्दगी में सब कुछ करो पर वही तक जहा आपकी कदर हो वरना जंगल में मोर नाचा किसने देखा मेरे दोस्त😆
धन्यवाद!
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